मंज़िल कि जुस्तजू में गुम हो रहा हमेशा किस अक्स को तलाशूँ अँधियार में यहाँ मैं! - Andhera Shayari

मंज़िल कि जुस्तजू में गुम हो रहा हमेशा किस अक्स को तलाशूँ अँधियार में यहाँ मैं!

Andhera Shayari