अँधेरी रात को मैं रोज़-ए-इश्क़ समझा था, चराग़ तू ने जलाया तो दिल बुझा मेरा। - Andhera Shayari

अँधेरी रात को मैं रोज़-ए-इश्क़ समझा था, चराग़ तू ने जलाया तो दिल बुझा मेरा।

Andhera Shayari