फ़िक्र आग़ाज़ ही की है सब को. कोई अंजाम सोचता ही नहीं! - Anjaam Shayari

फ़िक्र आग़ाज़ ही की है सब को. कोई अंजाम सोचता ही नहीं!

Anjaam Shayari