कुछ ज़िंदगी के तल्ख तजर्बे सिखा गए, कुछ कुछ तुम्हारे साथ का मुझ पे असर हुआ।

कुछ ज़िंदगी के तल्ख तजर्बे सिखा गए, कुछ कुछ तुम्हारे साथ का मुझ पे असर हुआ।

Asar Shayari

यूँ असर डाला है मतलबी लोगो ने दुनियाँ पर, हाल भी पूछो तो लोग समझते है की कोई काम होगा।

यूँ असर डाला है मतलबी लोगो ने दुनियाँ पर, हाल भी पूछो तो लोग समझते है की कोई काम होगा।

हमनें दुनिया में मोहब्बत का असर ज़िंदा किया है, हमनें नफ़रत को गले मिल-मिल के शर्मिंदा किया है।

हमनें दुनिया में मोहब्बत का असर ज़िंदा किया है, हमनें नफ़रत को गले मिल-मिल के शर्मिंदा किया है।

  कल रात के सर्द इश्क़ का असर कुछ गहरा रहा, इस सुबह पर कोहरों का घनघोर पहरा रहा।

कल रात के सर्द इश्क़ का असर कुछ गहरा रहा, इस सुबह पर कोहरों का घनघोर पहरा रहा।

मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली, छालों में छिपी लकीरों का असर जानता हूँ।

मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली, छालों में छिपी लकीरों का असर जानता हूँ।

सादगी सा एक ख़्याल तेरा क्या ख़ूब असर करता है, बंज़र ज़मीन को बारिश ने तरबतर किया हो जैसै।

सादगी सा एक ख़्याल तेरा क्या ख़ूब असर करता है, बंज़र ज़मीन को बारिश ने तरबतर किया हो जैसै।

 इस सर्दी ने तो और भी धुंधली कर दी है दुनिया, तेरी यादों के कोहरे का असर पहले क्या कम था।

इस सर्दी ने तो और भी धुंधली कर दी है दुनिया, तेरी यादों के कोहरे का असर पहले क्या कम था।

पता है बेअसर है वो फिर भी तैयार हो जाते है, खुद ही ज़िद करते है खुद ही हार जाते है।

पता है बेअसर है वो फिर भी तैयार हो जाते है, खुद ही ज़िद करते है खुद ही हार जाते है।

किस मुँह से हाथ उठाएँ फ़लक की तरफ़ 'ज़हीर' मायूस है असर से दुआ और दुआ से हम।

किस मुँह से हाथ उठाएँ फ़लक की तरफ़ 'ज़हीर' मायूस है असर से दुआ और दुआ से हम।

 बस इतना सा असर होगा हमारी यादों का, की कभी कभी तुम बिना बात मुस्कुराओगे।

बस इतना सा असर होगा हमारी यादों का, की कभी कभी तुम बिना बात मुस्कुराओगे।

खुलेगा उन पे जो बैनस्सुतूर पढ़ते हैं वो हर्फ़ हर्फ़ जो अख़बार में नहीं आता

खुलेगा उन पे जो बैनस्सुतूर पढ़ते हैं वो हर्फ़ हर्फ़ जो अख़बार में नहीं आता

मुझ महबूब सा लगता हैं यह अख़बार, ये भी अब झूठ बोलता हैं और वो भी झूठ बोलता हैं।

मुझ महबूब सा लगता हैं यह अख़बार, ये भी अब झूठ बोलता हैं और वो भी झूठ बोलता हैं।

मुझ को अख़बार सी लगती हैं तुम्हारी बातें, हर नए रोज़ नया फ़ित्ना बयाँ करती हैं!

मुझ को अख़बार सी लगती हैं तुम्हारी बातें, हर नए रोज़ नया फ़ित्ना बयाँ करती हैं!

कोई नहीं जो पता दे दिलों की हालत का, कि सारे शहर के अख़बार हैं ख़बर के बग़ैर!

कोई नहीं जो पता दे दिलों की हालत का, कि सारे शहर के अख़बार हैं ख़बर के बग़ैर!

 जो दिल को है ख़बर कहीं मिलती नहीं ख़बर, हर सुब्ह इक अज़ाब है अख़बार देखना!

जो दिल को है ख़बर कहीं मिलती नहीं ख़बर, हर सुब्ह इक अज़ाब है अख़बार देखना!

इस बाज़ार में आकर बाज़ार हो गया हूँ, ख़त बनाने आया था, अख़बार हो गया हूँ।

इस बाज़ार में आकर बाज़ार हो गया हूँ, ख़त बनाने आया था, अख़बार हो गया हूँ।

कोई कॉलम नहीं है हादसों पर, बचा कर आज का अख़बार रखना!

कोई कॉलम नहीं है हादसों पर, बचा कर आज का अख़बार रखना!

खबर को दुरुस्त होने का हर मौका देता हूँ, मैं अख़बार भी शाम को फुर्सत से पढ़ता हूँ।

खबर को दुरुस्त होने का हर मौका देता हूँ, मैं अख़बार भी शाम को फुर्सत से पढ़ता हूँ।

हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है, कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना!

हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है, कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना!