कुछ ख़बरों से इतनी वहशत होती है हाथों से अख़बार उलझने लगते हैं  - Akhbaar Shayari

कुछ ख़बरों से इतनी वहशत होती है हाथों से अख़बार उलझने लगते हैं

Akhbaar Shayari