क़सम देने की आदत बन गई थी जब क़सम खा कर ही बातें सच बताते थे

क़सम देने की आदत बन गई थी जब क़सम खा कर ही बातें सच बताते थे

Aadat Shayari

तेरे इश्क़ में भीगने का मन है जालीम। मेरे दिल के आँगन में जारा जम के बरसना तूम।

तेरे इश्क़ में भीगने का मन है जालीम। मेरे दिल के आँगन में जारा जम के बरसना तूम।

जिनके आंगन में अमीरी का शज़र लगता है। उनका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है।

जिनके आंगन में अमीरी का शज़र लगता है। उनका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है।

महक उठा है आँगन इस खबर से। वो ख़ुश्बू लौट आयी है सफर से।

महक उठा है आँगन इस खबर से। वो ख़ुश्बू लौट आयी है सफर से।

कौन कहे मासूम हमारा बचपन था खेल में भी तो आधा आधा आँगन था

कौन कहे मासूम हमारा बचपन था खेल में भी तो आधा आधा आँगन था

में छोड़ तो सकता हूँ लेकिन छोड़ नहीं पाता उसे, वो मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है।

में छोड़ तो सकता हूँ लेकिन छोड़ नहीं पाता उसे, वो मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है।

समय के साथ तो हर एक आदत छूट जाती है हमें तुम याद रक्खोगे ग़लतफ़हमी हमारी है

समय के साथ तो हर एक आदत छूट जाती है हमें तुम याद रक्खोगे ग़लतफ़हमी हमारी है

 बहुत कुछ बदला हैं मैने अपने आप में, लेकिन, तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली।

बहुत कुछ बदला हैं मैने अपने आप में, लेकिन, तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली।

छोड़ दूँ उसको भला मैं किस तरह से वो मोहब्ब़त है मिरी, आदत नहीं है

छोड़ दूँ उसको भला मैं किस तरह से वो मोहब्ब़त है मिरी, आदत नहीं है

दर्द सहने की इतनी आदत सी हो गई है, कि अब दर्द ना मिले तो बहुत दर्द होता है।

दर्द सहने की इतनी आदत सी हो गई है, कि अब दर्द ना मिले तो बहुत दर्द होता है।

उस बेवफ़ा का करते हो तुम ज़िक्र बार बार आदत 'सईद' है ये तुम्हारी बहुत बुरी

उस बेवफ़ा का करते हो तुम ज़िक्र बार बार आदत 'सईद' है ये तुम्हारी बहुत बुरी

 मैंने तेरा बहुत हो ना चाहा लेकिन अफसाने ही रहे, तेरे होठों पर हमेशा बहाने थे और बहाने ही रहे।

मैंने तेरा बहुत हो ना चाहा लेकिन अफसाने ही रहे, तेरे होठों पर हमेशा बहाने थे और बहाने ही रहे।

उसे जन्नत कहाँ से रास आये जिसे दोज़ख़ की आदत लग चुकी है

उसे जन्नत कहाँ से रास आये जिसे दोज़ख़ की आदत लग चुकी है

 ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी, मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी।

ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी, मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी।

बच्चे मेरी गली के पढ़ने लगे है गज़लें कैसे लगी ये आदत ये कौन जानता है

बच्चे मेरी गली के पढ़ने लगे है गज़लें कैसे लगी ये आदत ये कौन जानता है

 उस की आदत है मेरे बाल बिगाड़े रखना उस की कोशिश है किसी और को अच्छा न लगूँ  ।

उस की आदत है मेरे बाल बिगाड़े रखना उस की कोशिश है किसी और को अच्छा न लगूँ ।

यह आदत भी ना कितनी जल्दी हो जाती है, पर छोड़ने का वक्त आता है तो आसानी से छूटती नहीं।

यह आदत भी ना कितनी जल्दी हो जाती है, पर छोड़ने का वक्त आता है तो आसानी से छूटती नहीं।

तुझ से बिछड़ा तो मर न जाऊं कहीं तू मुहब्बत नहीं है, आदत है

तुझ से बिछड़ा तो मर न जाऊं कहीं तू मुहब्बत नहीं है, आदत है

 अपनी जिंदगी में किसी इंसान को, अपनी आदत न बनाना, क्‍योंकि जब वो बदलता है, तो उससे ज्‍यादा खुद पर गुस्‍सा आता है।

अपनी जिंदगी में किसी इंसान को, अपनी आदत न बनाना, क्‍योंकि जब वो बदलता है, तो उससे ज्‍यादा खुद पर गुस्‍सा आता है।