उसे जन्नत कहाँ से रास आये जिसे दोज़ख़ की आदत लग चुकी है - Aadat Shayari

उसे जन्नत कहाँ से रास आये जिसे दोज़ख़ की आदत लग चुकी है

Aadat Shayari