सिगरेट जैसी एक आदत मान बैठा हूँ तुम्हें ये भी मुझे मालूम है आदत नहीं अच्छी मेरी - Aadat Shayari

सिगरेट जैसी एक आदत मान बैठा हूँ तुम्हें ये भी मुझे मालूम है आदत नहीं अच्छी मेरी

Aadat Shayari