वो जो आग बने फिरते थे, उन्हें भी ख़ाक होते देखा है मैंने।

वो जो आग बने फिरते थे, उन्हें भी ख़ाक होते देखा है मैंने।

Aag Shayari

 हमारी नफरतों की आग में सब कुछ न जल जाये, की इस बस्ती में हम दोनों को आइंदा भी रहना है!

हमारी नफरतों की आग में सब कुछ न जल जाये, की इस बस्ती में हम दोनों को आइंदा भी रहना है!

ये कौन आग लगाने पे है यहां मामूर ये कौन शहर को मक़्तल बनाने वाला है!

ये कौन आग लगाने पे है यहां मामूर ये कौन शहर को मक़्तल बनाने वाला है!

कुछ लोग है जो हमको आग समझते है, और हम है कि जुगनुओं को भी चराग समझते हैं।

कुछ लोग है जो हमको आग समझते है, और हम है कि जुगनुओं को भी चराग समझते हैं।

आग कहीं भी लग सकती है इस बरसात के मौसम में, बादल की आँखों से टपका हर आंसू अंगारा है!

आग कहीं भी लग सकती है इस बरसात के मौसम में, बादल की आँखों से टपका हर आंसू अंगारा है!

 आग का क्या है पल दो पल में लगती है बुझते बुझते एक ज़माना लगता है!

आग का क्या है पल दो पल में लगती है बुझते बुझते एक ज़माना लगता है!

पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था अपनी ही आग में जलता हुआ साया देखा!

पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था अपनी ही आग में जलता हुआ साया देखा!

दिल के फफोले जल उठे सीने के दाग से, इस घर को आग लग गई घर के चिराग से।

दिल के फफोले जल उठे सीने के दाग से, इस घर को आग लग गई घर के चिराग से।

आग कोई हो कहीं भी कोई शोला भड़के जब भी जलते हैं गरीबों के ही घर जलते हैं!

आग कोई हो कहीं भी कोई शोला भड़के जब भी जलते हैं गरीबों के ही घर जलते हैं!

 मैं ज़िन्दगी की आग में जलने से बच गया, हाथो में आ गया तेरे दामन किसी तरह।

मैं ज़िन्दगी की आग में जलने से बच गया, हाथो में आ गया तेरे दामन किसी तरह।

समझ के आग लगाना हमारे घर में तुम, हमारे घर के बराबर तुम्हारा भी घर है ।

समझ के आग लगाना हमारे घर में तुम, हमारे घर के बराबर तुम्हारा भी घर है ।

 आज खुद को आग लगा दी है, देखूँ तो जरा कौन पानी कौन घी है।

आज खुद को आग लगा दी है, देखूँ तो जरा कौन पानी कौन घी है।

आग लगाई तुम ने ही तो, लोगों ने तो सिर्फ़ हवा दी!

आग लगाई तुम ने ही तो, लोगों ने तो सिर्फ़ हवा दी!

झुलसा बदन है देख के नफरत न कीजिये, मैं दूसरों की आग बुझाने में जल गया।

झुलसा बदन है देख के नफरत न कीजिये, मैं दूसरों की आग बुझाने में जल गया।

 इश्क़ को कोई छुपा सकता नहीं आग लगती है उठता है धुंआ।

इश्क़ को कोई छुपा सकता नहीं आग लगती है उठता है धुंआ।

ये इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है!

ये इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है!

चूमकर तुम्हारे लबों को पता चला, आग और पानी का साथ कैसा होता हैं।

चूमकर तुम्हारे लबों को पता चला, आग और पानी का साथ कैसा होता हैं।

यूँ जो तकता है आसमान को तू कोई रहता है आसमान में क्या !

यूँ जो तकता है आसमान को तू कोई रहता है आसमान में क्या !

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में