सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है अब आसमान तलक रास्ता बनाना है

सफ़र का एक नया सिलसिला बनाना है अब आसमान तलक रास्ता बनाना है

Aasman Shayari

 इश्क़ को कोई छुपा सकता नहीं आग लगती है उठता है धुंआ।

इश्क़ को कोई छुपा सकता नहीं आग लगती है उठता है धुंआ।

ये इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है!

ये इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है!

चूमकर तुम्हारे लबों को पता चला, आग और पानी का साथ कैसा होता हैं।

चूमकर तुम्हारे लबों को पता चला, आग और पानी का साथ कैसा होता हैं।

यूँ जो तकता है आसमान को तू कोई रहता है आसमान में क्या !

यूँ जो तकता है आसमान को तू कोई रहता है आसमान में क्या !

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में

ख़ाक हो जाएगी ज़मीन इक दिन आसमानों की आसमानी में।

ख़ाक हो जाएगी ज़मीन इक दिन आसमानों की आसमानी में।

मुझे आसमान को छूने का कोई गम नहीं,आपका दिल छूना आसमान छूने से कम नहीं।

मुझे आसमान को छूने का कोई गम नहीं,आपका दिल छूना आसमान छूने से कम नहीं।

आसमाँ भर गया परिंदों से पेड़ कोई हरा गिरा होगा!

आसमाँ भर गया परिंदों से पेड़ कोई हरा गिरा होगा!

जितनी बंटनी थी बट चुकी ये ज़मीं, अब तो बस आसमान बाक़ी है

जितनी बंटनी थी बट चुकी ये ज़मीं, अब तो बस आसमान बाक़ी है

 आसमान देख कर सपने बुनो, आसान को छोड़ मुश्किल राहो को चुनो।

आसमान देख कर सपने बुनो, आसान को छोड़ मुश्किल राहो को चुनो।

ज़मीं के ताल सब सूखे पड़े हैं परिंदे आसमाँ-दर-आसमाँ हैं ।

ज़मीं के ताल सब सूखे पड़े हैं परिंदे आसमाँ-दर-आसमाँ हैं ।

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ कुछ को लेकिन आसमानों के ख़ज़ाने चाहिएँ ।

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिएँ कुछ को लेकिन आसमानों के ख़ज़ाने चाहिएँ ।

रुत बदली तो ज़मीं के चेहरे का ग़ाज़ा भी बदला रंग मगर ख़ुद आसमान ने बदले कैसे कैसे  ।

रुत बदली तो ज़मीं के चेहरे का ग़ाज़ा भी बदला रंग मगर ख़ुद आसमान ने बदले कैसे कैसे ।

कहिये तो आसमां जमीन पर उतार लाएं, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर, ठान लीजिये।

कहिये तो आसमां जमीन पर उतार लाएं, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर, ठान लीजिये।

बुलंदियों के आसमान पर पहुँच जाओ, तो फटे जूते की बड़ी तारीफ़ होती है।

बुलंदियों के आसमान पर पहुँच जाओ, तो फटे जूते की बड़ी तारीफ़ होती है।

हम किसी को गवाह क्या करते इस खुले आसमान के आगे।

हम किसी को गवाह क्या करते इस खुले आसमान के आगे।

यूँ तो मैंने बुलंदियों के हर निशान को छुआ, जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमना को छुआ।।

यूँ तो मैंने बुलंदियों के हर निशान को छुआ, जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमना को छुआ।।

बदले हुए से लगते हैं अब मौसमों के रंग पड़ता है आसमान का साया ज़मीन पर ।

बदले हुए से लगते हैं अब मौसमों के रंग पड़ता है आसमान का साया ज़मीन पर ।