ऐ इश्क बड़ा गुमान था अपने आप पर तुझे एक शक आंधी चली और तू नेस्तनाबूद हो गया।
जैसे ही उसने मुझे चूमा, मैं बस इतना कर सकता था कि मैं एक आंधी के बीच में भी जिंदा जल रहा था।
मोहब्बत की आंधी में बह जाओगे मोहब्बत ना करना बेमौत मर जाओगे।
मैं तो टूटा हूँ अपनी ख़ुद की गलतियों के वज़ह से वरना इन आँधी -तूफानों की इतनी कहाँ औकात कि यह एक पहाड़ को हिला भी सकें।
कल रात की आंधी से मेरे गांव में कुछ शजर गिरा है मगर अफ़सोस ना जाने कितने परिन्दों का घर गिरा है उड़ गया जिनके घर का छप्पर आंधी के कहर से उनसे ना पूछ लेना की रात कैसे गुजरा हैं।
रेत के टीले सी है ज़िंदगी वक़्त की आंधी, ज़र्रा ज़र्रा उड़ाकर ले जा रही है।
खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का, मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी।
यादों की आंधी में उड़ने से जो, खुश होते हैं, वो अपनी ही पहचान खो देते हैं।
सफलता पाने के लिए जेब में गाँधी हो या ना हो, लेकिन दिल में आंधी जरूर होना चाहिए।
क़िस्सा-ए-आदम में एक और ही वहदत पैदा कर ली है, मैंने अपने अंदर अपनी औरत पैदा कर ली है
आदमी तू बड़ी नेमत है इक औरत को मगर ज़िन्दगी जीने की ख़ातिर तेरी दरकार नहीं!
औरत को भी हमवार करने के लिए, तुम कैसे कैसे जतन करते हो!
गुलनार देखती हैं ये मज़दूर औरतें, मेहनत पे अपने पेट से मजबूर औरतें!
इश्क़ इंसान में औरत को जगा देता है, लोग हो जाते हैं शादाब समझ लो लड़की!
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता, अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता, वो देखो एक औरत आ रही है ।
कौन बदन से आगे देखे औरत को, सब की आंखें गिरवी हैं इस नगरी में।
ऐसी खुदा की रहमत नहीं देखी मैने, माँ से अच्छी कोई औरत नहीं देखी मैने।
दौलत के लिए जब औरत की इस्मत को न बेचा जाएगा, चाहत को न कुचला जाएगा ग़ैरत को न बेचा जाएगा।