ख़ूबसूरत है सिर्फ़ बाहर से ये इमारत भी आदमी सी है

ख़ूबसूरत है सिर्फ़ बाहर से ये इमारत भी आदमी सी है

Aadmi Shayari

 एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला, जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं!

एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला, जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं!

माना जीवन में औरत इक बार मोहब्बत करती है, लेकिन मुझ को ये तो बता दे क्या तू औरत ज़ात नहीं!

माना जीवन में औरत इक बार मोहब्बत करती है, लेकिन मुझ को ये तो बता दे क्या तू औरत ज़ात नहीं!

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर, मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर, मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया

एक आंधी जिसे ले जाए उड़ा कर पल में आदमी रेत के टीलों की तरह होता है

एक आंधी जिसे ले जाए उड़ा कर पल में आदमी रेत के टीलों की तरह होता है

न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों अभी मैं अंदर के आदमी से डरा हुआ हूँ

न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों अभी मैं अंदर के आदमी से डरा हुआ हूँ

फूल कर ले निबाह काँटों से आदमी ही न आदमी से मिले

फूल कर ले निबाह काँटों से आदमी ही न आदमी से मिले

 गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया, होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया, होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया

आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए

आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए

ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी होश, और अब तक आदमी ने सैकड़ों ख़ुदा बदले।

ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी होश, और अब तक आदमी ने सैकड़ों ख़ुदा बदले।

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं, मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे!

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं, मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे!

फ़रिश्ते से बढ़कर है इंसान बनना, मगर इसमें लगती है मेहनत ज़्यादा!

फ़रिश्ते से बढ़कर है इंसान बनना, मगर इसमें लगती है मेहनत ज़्यादा!

सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है आदमी आदमी को भूल गया

सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है आदमी आदमी को भूल गया

आदमी आदमी से मिलता है, दिल मगर कम किसी से मिलता है भूल जाता हूँ मैं सितम उस के, वो कुछ इस सादगी से मिलता है!

आदमी आदमी से मिलता है, दिल मगर कम किसी से मिलता है भूल जाता हूँ मैं सितम उस के, वो कुछ इस सादगी से मिलता है!

क्या डरें हम भूत-डायन-सी किसी भी बद-बला से आदमी से ही नहीं महफ़ूज़ है जब आदमी अब!

क्या डरें हम भूत-डायन-सी किसी भी बद-बला से आदमी से ही नहीं महफ़ूज़ है जब आदमी अब!

जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा, आदमी की हैं सैकड़ों क़िस्में!

जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा, आदमी की हैं सैकड़ों क़िस्में!

 आदमी बुलबुला है पानी का, क्या भरोसा है ज़िंदगानी का!

आदमी बुलबुला है पानी का, क्या भरोसा है ज़िंदगानी का!

फिरता है कैसे-कैसे सवालों के साथ वो उस आदमी की जामातलाशी तो लीजिए

फिरता है कैसे-कैसे सवालों के साथ वो उस आदमी की जामातलाशी तो लीजिए

तेरी मर्ज़ी थी तू चाहे जो बना देता मेरा लेकिन तूने आदमी तोड़ कर पत्थर नहीं बनाना था

तेरी मर्ज़ी थी तू चाहे जो बना देता मेरा लेकिन तूने आदमी तोड़ कर पत्थर नहीं बनाना था