बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है, हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है। - Aafat Shayari

बला है क़हर है आफ़त है फ़ित्ना है क़यामत है, हसीनों की जवानी को जवानी कौन कहता है।

Aafat Shayari