मय-कदा है यहाँ सुकूँ से बैठ, कोई आफ़त इधर नहीं आती! - Aafat Shayari

मय-कदा है यहाँ सुकूँ से बैठ, कोई आफ़त इधर नहीं आती!

Aafat Shayari