आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है। - Aafat Shayari

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन, मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

Aafat Shayari