मिरी उम्मीद का सूरज कि तेरी आस का चाँद, दिए तमाम ही रुख़ पर हवा के रक्खे थे! - Aas Shayari

मिरी उम्मीद का सूरज कि तेरी आस का चाँद, दिए तमाम ही रुख़ पर हवा के रक्खे थे!

Aas Shayari