वो हो जायेंगे खुश कुछ पतगें लूट कर ही,  ऐ हवा तु अपना रुख गरीबों की बस्ती तरफ ही रखना.

वो हो जायेंगे खुश कुछ पतगें लूट कर ही, ऐ हवा तु अपना रुख गरीबों की बस्ती तरफ ही रखना.

Basti Shayari

बिना आशा के हम कष्ट नहीं झेलते और शोक नहीं मनाते

बिना आशा के हम कष्ट नहीं झेलते और शोक नहीं मनाते

जिन्दगी में खुश रहने की एक ही परिभाषा, ना किसी पर भरोसा, ना किसी से आशा.

जिन्दगी में खुश रहने की एक ही परिभाषा, ना किसी पर भरोसा, ना किसी से आशा.

किरण देख ली मेने आशा की निराशा में सूरज मिलना मुश्किल था फिर क्या वही किरण सेक ली मेने।

किरण देख ली मेने आशा की निराशा में सूरज मिलना मुश्किल था फिर क्या वही किरण सेक ली मेने।

जब हृदय में आशाओं के दीप जलते है, तो वक्त नही लगता, किस्मत बदलते है.

जब हृदय में आशाओं के दीप जलते है, तो वक्त नही लगता, किस्मत बदलते है.

किसी से हद से ज्यादा उम्मीद लगाओगे, तो एक दिन उस उम्मीद के साथ खुद भी टूट जाओगे.

किसी से हद से ज्यादा उम्मीद लगाओगे, तो एक दिन उस उम्मीद के साथ खुद भी टूट जाओगे.

 कभी भी खुद को इतना मत बदल देना, आशा को निराशा में मत बदल देना।

कभी भी खुद को इतना मत बदल देना, आशा को निराशा में मत बदल देना।

आशा कभी मरती नहीं, निराशा कभी जन्म नहीं लेती, दोनों ही हमारे विचारों में होते है।

आशा कभी मरती नहीं, निराशा कभी जन्म नहीं लेती, दोनों ही हमारे विचारों में होते है।

तन के लिए जरूरी जैसे श्वास है, मन के लिए आशा और विश्वास है.

तन के लिए जरूरी जैसे श्वास है, मन के लिए आशा और विश्वास है.

दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।

दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जिसे वो शहर कहते हैं,  जहाँ लोग मिलते कम, झाँकते ज्यादा हैं.

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जिसे वो शहर कहते हैं, जहाँ लोग मिलते कम, झाँकते ज्यादा हैं.

तुम भी झूमो मस्ती में हम भी झूमे मस्ती में,  शोर है आज बस्ती में झूम रहे है सब मस्ती में.

तुम भी झूमो मस्ती में हम भी झूमे मस्ती में, शोर है आज बस्ती में झूम रहे है सब मस्ती में.

हादसों के जद आके क्या मुस्कुराना छोड़ देंगे  एक बस्ती बिखर गयी तो क्या बस्ती बसाना छोड़ देंगे.

हादसों के जद आके क्या मुस्कुराना छोड़ देंगे एक बस्ती बिखर गयी तो क्या बस्ती बसाना छोड़ देंगे.

  पत्थर सा दिल कहाँ से लाऊ,  कंक्रीट की बस्ती में निभ पाऊं.

पत्थर सा दिल कहाँ से लाऊ, कंक्रीट की बस्ती में निभ पाऊं.

खुदगर्जो की बस्ती में एहसान भी गुनाह है, जिसे तैरना सिखाओ वही डुबाने को तैयार रहता है.

खुदगर्जो की बस्ती में एहसान भी गुनाह है, जिसे तैरना सिखाओ वही डुबाने को तैयार रहता है.

तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह, अपनी  बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है.

तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह, अपनी बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है.

 बस्ती जंगल सी लगे, मैँ जाऊँ किस ओर, घात लगाये राह मेँ, बैठे आदमखोर.

बस्ती जंगल सी लगे, मैँ जाऊँ किस ओर, घात लगाये राह मेँ, बैठे आदमखोर.

 इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा, जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है.

इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा, जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है.

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे, वो भी अलग हट गयी आधियों को इशारा करके.

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे, वो भी अलग हट गयी आधियों को इशारा करके.