तुम्हारे बाद कुछ नहीं हुआ सिवा इसके के मेरी वक़्त से, खु़दा से, खु़द से बनती नहीं

तुम्हारे बाद कुछ नहीं हुआ सिवा इसके के मेरी वक़्त से, खु़दा से, खु़द से बनती नहीं

Bekhudi Shayari

तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह, अपनी  बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है.

तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह, अपनी बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है.

 बस्ती जंगल सी लगे, मैँ जाऊँ किस ओर, घात लगाये राह मेँ, बैठे आदमखोर.

बस्ती जंगल सी लगे, मैँ जाऊँ किस ओर, घात लगाये राह मेँ, बैठे आदमखोर.

 इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा, जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है.

इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा, जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है.

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे, वो भी अलग हट गयी आधियों को इशारा करके.

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे, वो भी अलग हट गयी आधियों को इशारा करके.

हम तो रह के दिल्ली में ढूँडते हैं दिल्ली को पूछिए 'रविश' किस से क्या यही वो बस्ती है.

हम तो रह के दिल्ली में ढूँडते हैं दिल्ली को पूछिए 'रविश' किस से क्या यही वो बस्ती है.

इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा. जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है !

इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा. जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है !

बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़ ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था

बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़ ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था

मुझसे नहीं कटती अब ये उदास रातें, बेखुदी मे कल सूरज से कहूँगा मुझे साथ लेकर डूबे

मुझसे नहीं कटती अब ये उदास रातें, बेखुदी मे कल सूरज से कहूँगा मुझे साथ लेकर डूबे

शाम-ए-ग़म कुछ  उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो.

शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो.

सबसे आला सबसे उम्दा आशिक़ी है शायरी सच मैं बोलूँ तो खुदा की नौकरी है शायरी

सबसे आला सबसे उम्दा आशिक़ी है शायरी सच मैं बोलूँ तो खुदा की नौकरी है शायरी

डाला है बेख़ुदी ने अजब राह पर मुझे, आँखें हैं और कुछ नहीं आता नज़र मुझे…

डाला है बेख़ुदी ने अजब राह पर मुझे, आँखें हैं और कुछ नहीं आता नज़र मुझे…

बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब' कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है

बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब' कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

हमारी बेखुदी का हाल वो पूछे अगर, तो कहना होश बस इतना है की, तुमको याद करते है

हमारी बेखुदी का हाल वो पूछे अगर, तो कहना होश बस इतना है की, तुमको याद करते है

यहाँ कोई न जी सका न जी सकेगा होश में  मिटा दे नाम होश का शराब ला शराब ला

यहाँ कोई न जी सका न जी सकेगा होश में मिटा दे नाम होश का शराब ला शराब ला

आपकी याद आती रही रात भर, बेखुदी में हंसाती रही रात भर, चांद मेरे संग सफर में ही रहा, चांदनी गुनगुनाती रही रात भर

आपकी याद आती रही रात भर, बेखुदी में हंसाती रही रात भर, चांद मेरे संग सफर में ही रहा, चांदनी गुनगुनाती रही रात भर

बेखुदी कि जिन्दगी जिया नही करते, जाम दूसरो का छीन कर पिया नही करते, उनको मुहब्बत है तो आ के इजहार करे, पीछा हम भी किसी का किया नही करते…

बेखुदी कि जिन्दगी जिया नही करते, जाम दूसरो का छीन कर पिया नही करते, उनको मुहब्बत है तो आ के इजहार करे, पीछा हम भी किसी का किया नही करते…

बेखुदी वो नहीं कि हम, तेरे तसव्वुर में खो जाएं, यकीनन बेखुदी वो है, कि तुझको भूल ना पाएं

बेखुदी वो नहीं कि हम, तेरे तसव्वुर में खो जाएं, यकीनन बेखुदी वो है, कि तुझको भूल ना पाएं