कौन से नाम से ताबीर करूँ इस रूत को।। फूल मुरझाएं हैं ज़ख्मों पे बहार आई है। - Bahaar Shayari

कौन से नाम से ताबीर करूँ इस रूत को।। फूल मुरझाएं हैं ज़ख्मों पे बहार आई है।

Bahaar Shayari