Bahaar Shayari, Status, and Images in Hindi

Best Bahaar Status, Shayari, Messages, and Quotes With Images in Hindi.

Heart Touching Bahaar Shayari

कौन से नाम से ताबीर करूँ इस रूत को।। फूल मुरझाएं हैं ज़ख्मों पे बहार आई है।

लाख गुलाब लगा लो अपने आंगन में सनम, खुशबू और बहार तो हमारे आने से ही आएगी।

ब दिल ने तड़पना छोड़ दिया, जलवों ने मचलना छोड़ दिया, पोशाक बहारों ने बदली, फूलों ने महकना छोड़ दिया।

पलकों से आँसुओं की क़तारों को पोंछ लो पतझड़ की बात ठीक नहीं है बहार में।

बहारों का मौसम आया, गुलाब से गुलाब का रंग, जवानी जो तुम पर चढ़ी तो नशा मेरी आँखों में आया।

शोर की तो उम्र होती हैं, ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।

होती हो जब तुम साथ तो तमन्ना ही नही रहती कोई, फिर ये फूल क्या बहारें क्या ये चाँद क्या सितारे क्या।

ये हवा, ये रात ये चाँदनी तेरी एक अदा पे निसार हैं, मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू तेरी जुस्तजू में बहार है।

गई बहार मगर अपनी बेख़ुदी है वही समझ रहा हूँ कि अब तक बहार बाक़ी है

लुत्फ़ जो उस के इंतज़ार में है। वो कहाँ मौसम-ए-बहार में है।

कांटा समझ के मुझ से न दामन बचाइए, गुजरी हुई बहार की इक यादगार हूँ!

हर आस अश्कबार है, हर साँस बेकरार है, तेरे बगैर जिन्दगी, उजडी हुई बहार है।

वो गुलबदन कभी निकला जो सैर ए सहरा को तो अपने साथ हवा ए बहार कर लेगा।

इश्क़ में दिल के इलाक़े से गुजरती है बहार, दर्द अहसास तक आए तो नमी तक पहुँचे।

शिद्दत से बहारों के इंतेज़ार में सब हैं, पर फूल मोहब्बत के तो खिलने नहीं देते।

यूँ ही शायद दिल-ए-वीराँ में बहार आ जाए, ज़ख़्म जितने मिलें सीने पे सजाते चलिए।

मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा, हमे कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा।

मौसम-ए-गुल में तो आ जाती है काँटों पे बहार, बात तो जब है ख़िजाँ में गुल-ए-तर पैदा कर!

उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का पतझड़ सी है ज़िन्दगी, ख्याल है बहार का।

काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ, ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में।

चाँद तारो की कसम खाता हूँ, मैं बहारों की कसम खाता हूँ, कोई आप जैसा नज़र नहीं आया, मैं नजारों की कसम खाता हूँ।

उधर भी ख़ाक उड़ी है इधर भी ख़ाक उड़ी जहाँ जहाँ से बहारों के कारवाँ निकले

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कौन से नाम से ताबीर करूँ इस रूत को।। फूल मुरझाएं हैं ज़ख्मों पे बहार आई है।
लाख गुलाब लगा लो अपने आंगन में सनम, खुशबू और बहार तो हमारे आने से ही आएगी।
ब दिल ने तड़पना छोड़ दिया, जलवों ने मचलना छोड़ दिया, पोशाक बहारों ने बदली, फूलों ने महकना छोड़ दिया।
पलकों से आँसुओं की क़तारों को पोंछ लो पतझड़ की बात ठीक नहीं है बहार में।
 बहारों का मौसम आया, गुलाब से गुलाब का रंग, जवानी जो तुम पर चढ़ी तो नशा मेरी आँखों में आया।
शोर की तो उम्र होती हैं, ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।
 होती हो जब तुम साथ तो तमन्ना ही नही रहती कोई, फिर ये फूल क्या बहारें क्या  ये चाँद क्या सितारे क्या।
 ये हवा, ये रात ये चाँदनी तेरी एक अदा पे निसार हैं, मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू तेरी जुस्तजू में बहार है।
 गई बहार मगर अपनी बेख़ुदी है वही समझ रहा हूँ कि अब तक बहार बाक़ी है
लुत्फ़ जो उस के इंतज़ार में है। वो कहाँ मौसम-ए-बहार में है।
कांटा समझ के मुझ से न दामन बचाइए, गुजरी हुई बहार की इक यादगार हूँ!
 हर आस अश्कबार है, हर साँस बेकरार है, तेरे बगैर जिन्दगी, उजडी हुई बहार है।
वो गुलबदन कभी निकला जो सैर ए सहरा को तो अपने साथ हवा ए बहार कर लेगा।
 इश्क़ में दिल के इलाक़े से गुजरती है बहार, दर्द अहसास तक आए तो नमी तक पहुँचे।
 शिद्दत से बहारों के इंतेज़ार में सब हैं, पर फूल मोहब्बत के तो खिलने नहीं देते।
 यूँ ही शायद दिल-ए-वीराँ में बहार आ जाए, ज़ख़्म जितने मिलें सीने पे सजाते चलिए।
 मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा, हमे कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा।
 मौसम-ए-गुल में तो आ जाती है काँटों पे बहार, बात तो जब है ख़िजाँ में गुल-ए-तर पैदा कर!
उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का पतझड़ सी है ज़िन्दगी, ख्याल है बहार का।
 काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ, ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में।
चाँद तारो की कसम खाता हूँ, मैं बहारों की कसम खाता हूँ, कोई आप जैसा नज़र नहीं आया, मैं नजारों की कसम खाता हूँ।
उधर भी ख़ाक उड़ी है इधर भी ख़ाक उड़ी जहाँ जहाँ से बहारों के कारवाँ निकले