चाँद तारो की कसम खाता हूँ, मैं बहारों की कसम खाता हूँ, कोई आप जैसा नज़र नहीं आया, मैं नजारों की कसम खाता हूँ।

चाँद तारो की कसम खाता हूँ, मैं बहारों की कसम खाता हूँ, कोई आप जैसा नज़र नहीं आया, मैं नजारों की कसम खाता हूँ।

Bahaar Shayari

 हर आस अश्कबार है, हर साँस बेकरार है, तेरे बगैर जिन्दगी, उजडी हुई बहार है।

हर आस अश्कबार है, हर साँस बेकरार है, तेरे बगैर जिन्दगी, उजडी हुई बहार है।

वो गुलबदन कभी निकला जो सैर ए सहरा को तो अपने साथ हवा ए बहार कर लेगा।

वो गुलबदन कभी निकला जो सैर ए सहरा को तो अपने साथ हवा ए बहार कर लेगा।

 इश्क़ में दिल के इलाक़े से गुजरती है बहार, दर्द अहसास तक आए तो नमी तक पहुँचे।

इश्क़ में दिल के इलाक़े से गुजरती है बहार, दर्द अहसास तक आए तो नमी तक पहुँचे।

 शिद्दत से बहारों के इंतेज़ार में सब हैं, पर फूल मोहब्बत के तो खिलने नहीं देते।

शिद्दत से बहारों के इंतेज़ार में सब हैं, पर फूल मोहब्बत के तो खिलने नहीं देते।

 यूँ ही शायद दिल-ए-वीराँ में बहार आ जाए, ज़ख़्म जितने मिलें सीने पे सजाते चलिए।

यूँ ही शायद दिल-ए-वीराँ में बहार आ जाए, ज़ख़्म जितने मिलें सीने पे सजाते चलिए।

 मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा, हमे कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा।

मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा, हमे कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा।

 मौसम-ए-गुल में तो आ जाती है काँटों पे बहार, बात तो जब है ख़िजाँ में गुल-ए-तर पैदा कर!

मौसम-ए-गुल में तो आ जाती है काँटों पे बहार, बात तो जब है ख़िजाँ में गुल-ए-तर पैदा कर!

उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का पतझड़ सी है ज़िन्दगी, ख्याल है बहार का।

उल्फ़त के मारों से ना पूछों आलम इंतज़ार का पतझड़ सी है ज़िन्दगी, ख्याल है बहार का।

 काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ, ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में।

काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ, ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में।

उधर भी ख़ाक उड़ी है इधर भी ख़ाक उड़ी जहाँ जहाँ से बहारों के कारवाँ निकले

उधर भी ख़ाक उड़ी है इधर भी ख़ाक उड़ी जहाँ जहाँ से बहारों के कारवाँ निकले

 ज़रा सी मुस्कुराहटों की बात हमने क्या की,  वो तो मुझपर  बरस पड़े शिकायतों की तरह.

ज़रा सी मुस्कुराहटों की बात हमने क्या की, वो तो मुझपर बरस पड़े शिकायतों की तरह.

आज तो आसमान से भी ज़ज़्बात नही सम्भाले जा रहे,  जमी से मिलने को तरस रहा है, रह-रह कर बरस रहा है.

आज तो आसमान से भी ज़ज़्बात नही सम्भाले जा रहे, जमी से मिलने को तरस रहा है, रह-रह कर बरस रहा है.

 गुजरे जिधर से तू वो मेरा रास्ता न हो अब के बरस दुआ है तेरा सामना न हो.

गुजरे जिधर से तू वो मेरा रास्ता न हो अब के बरस दुआ है तेरा सामना न हो.

 दुश्मन भी चख ले तो मुँह मीठा हो जाए...  अब के बरस स्वभाव मेरा भी गुड़ जैसा हो जाये.

दुश्मन भी चख ले तो मुँह मीठा हो जाए... अब के बरस स्वभाव मेरा भी गुड़ जैसा हो जाये.

ऐ बारिश जरा खुलकर  बरस, ये क्या तमाशा है, इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है.

ऐ बारिश जरा खुलकर बरस, ये क्या तमाशा है, इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से रोज होती है.

जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर  बरस पड़े.

जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर बरस पड़े.

 इस बार बरस जाए ईमान की बारिश, लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है.

इस बार बरस जाए ईमान की बारिश, लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है.

पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही,  अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.

पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही, अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो.