घिरे हुए थे जो बादल बरस के थम भी गए,  एक तेरी याद हैं जो थमती ही नहीँ. - Baras Shayari

घिरे हुए थे जो बादल बरस के थम भी गए, एक तेरी याद हैं जो थमती ही नहीँ.

Baras Shayari