बचपन की यादों के बादल छटने लगे है पुराने घर मैदान आंखों के सामने से मिटने लगे है। - Badal Shayari

बचपन की यादों के बादल छटने लगे है पुराने घर मैदान आंखों के सामने से मिटने लगे है।

Badal Shayari