तू मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है, सुकून बहुत मिलता है दिलबर तुझे अपना सोचकर.
 - Dilbar Shayari

तू मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है, सुकून बहुत मिलता है दिलबर तुझे अपना सोचकर.

Dilbar Shayari

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