तेरे वादे को कभी झूट नहीं समझूँगा कल की रात भी दरवाज़ा खुला रखूँगा।। - Darwaza Shayari

तेरे वादे को कभी झूट नहीं समझूँगा कल की रात भी दरवाज़ा खुला रखूँगा।।

Darwaza Shayari