मोहब्बत की न सही मेरे सलीके की तो दाद दे, रोज़ तेरा ज़िक्र करता हूँ बगैर तेरा नाम लिए !
 - Best Shayari

मोहब्बत की न सही मेरे सलीके की तो दाद दे, रोज़ तेरा ज़िक्र करता हूँ बगैर तेरा नाम लिए !

Best Shayari