एक किताब की तरह हूं, मै कितनी भी पुरानी हो जाए, पर उसके अल्फाज नहीं बदलेंगे, कभी याद आए तो पन्ने पलटकर देखना, हम आज जैसे हैं, कल भी वैसे ही मिलेंगे।
 - Best Shayari

एक किताब की तरह हूं, मै कितनी भी पुरानी हो जाए, पर उसके अल्फाज नहीं बदलेंगे, कभी याद आए तो पन्ने पलटकर देखना, हम आज जैसे हैं, कल भी वैसे ही मिलेंगे।

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