मेरी बहार-ओ-खिज़ां जिसके इख्तियार में थी, मिजाज़ उस दिल-ए-बेइख्तियार का न मिला। - sad shayari

मेरी बहार-ओ-खिज़ां जिसके इख्तियार में थी, मिजाज़ उस दिल-ए-बेइख्तियार का न मिला।

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