ह जो तक़दीर में लिखे नहीं होते है, उनकी आरजू को इश्क कहते है।
बदलते 👿इंसानो की बात हमसे न पूछो, हमने अपने 😢हमदर्द को, हमारा 😭दर्द बनते देखा है
नाकाम निकली मेरी हर कोशिश उसे मनाने की न जाने कहां से सीखी है जालिम ने अदा रूठ जाने की
इश्क के आगोश में आने वालों सुनो नींद नहीं आती बिना महबूब की बाहों के।
तुम्हारी 😔फिक्र करने के लिए 👩❤️👨रिश्ता होना जरुरी तो नहीं एहसास की ही तो बात है तुम्हारी 😔इजाजत भी जरुरी नहीं।
परेशां हैं वो Ishq💔 कर के, वफ़ा निभाने की नौबत जो आ गई है !
महफिल लगी थी 🙇बद-दुआओं की, Hamne भी DiL💔 से कहा, उसे Ishq💔 हो, उसे Ishq हो, उसे Ishq हो.
जब मैं डूबा तो समुन्दर को भी हैरत हुई, अजीब शख्स है किसी को पुकारता भी नहीं!
😔सादगी इतनी भी नहीं है अब बाकी मुझमें, कि तू वक़्त ⏳गुज़ारे और मैं 😢मोहब्बत समझूं।
क्या बेमिसाल प्यार था, मेरे यार का, वादे किए मुझसे, निभाए किसी और के साथ।
सोचा था 😝तड़पायेंगे हम उन्हें, किसी और का नाम लेके 🔥जलायेगें उन्हें, फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके 😢दर्द मुझको ही होगा, तो फिर भला किस तरह 😭सताए हम उन्हें।
अब तो इस राह से वो शख़्स गुजरता भी 😢नहीं, अब किस उम्मीद पे 😭दरवाज़े से झाँके कोई।
कहता था तू ना मिला मुझे, तो मैं 🔪मर जाऊंगा, वो आज भी 😔जिंदा है यही बात, किसी और से 😢कहने के लिए।
😢बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था, बेशक ये 😞ख्वाब था मगर हसीन कितना था।
मैंने 💔तड़पकर कहा बहुत 💔याद आते हो तुम वो ☺️मुस्कुरा कर बोले तुम्हे और 😢आता ही क्या है!
जिस क़दर उसकी 😔क़दर की उस क़दर बेक़दर 😢हुये हम।
चेहरे 😛अजनबी हो जाये तो कोई बात नहीं, मोहब्बत अजनबी होकर बड़ी 😞तकलीफ देती है।
फर्क चेहरे की 😛हँसी, पर सिर्फ इतना सा पाते है, पहले 😞आती थी अब 😭लाते है।