मेरा ख़याल ज़ेहन से मिटा भी न सकोगे, एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे, तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे।
 - dard bhari shayari

मेरा ख़याल ज़ेहन से मिटा भी न सकोगे, एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे, तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे।

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