खून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे; दिल नहीं मानता कौन दिल से कहे, तेरी दुनिया में आये बहुत दिन रहे, सुख ये पाया कि हमने बहुत दुःख सहे। - dard bhari shayari

खून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे; दिल नहीं मानता कौन दिल से कहे, तेरी दुनिया में आये बहुत दिन रहे, सुख ये पाया कि हमने बहुत दुःख सहे।

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