जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर, हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है। - bewafa shayari

जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर, हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है।

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