लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ; सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे..
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब… बचपन वाला इतवार अब नहीं आता..
बहुत देखा है ज़िन्दगी में समझदार बनकर पर ख़ुशी हमेशा पागल बनकर ही मिली है !
एक दिन ßhai इतना Famous होगा की लोग, ßhai को Facebook पे नहीं Google पे सचॅ करेंगे..
वो आईना देख मुस्कुरा के बोली… बेमौत मरेगा मुझ पर मरने वाला !
मुस्कराना हर किसी के बस की बात नहीं है, मुस्करा वो ही सकता है जो दिल का अमीर हो!
शेर को सवा शेर कहीं ना कहीं ज़रूर मिलता हैं, और रही बात हमारी तो हम तो बचपन से ही सवा शेर हैं..
हथियार तो सिर्फ शोक के लिए रखा करते हे , खौफ के लिए तो बस नाम ही काफी हे।
हम तो पहले से बिगडे हुऐ है, हमारा कोई क्या बिगाड लेगा..
दौलत तो विरासत में मिलती है, लेकिन पहचान अपने दम पर बनानी पड़ती है।
डरते तो हम किसी के बाप से भी नही, बस Respect नाम की चीज बीच मे आ जाती हे...
श्री राधा जहाँ-जहां श्री कृष्ण वहाँ-वहाँ है, जो हृदय में बस जाएँ वो बिछड़ता कहाँ है.
यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता, तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता।
भरोसा है मुझे बंसीधर तेरे नाम का कदम कदम पर है तेरा ही सहारा धोका कभी ना खाऊ मैं मैन पिया है प्याला राधे राधे नाम का ।। श्री राधे राधे ।।
राधा कृष्ण का मिलन तो एक बहाना था, दुनिया को प्रेम का सही मतलब समझना था.
राधा के सच्चे प्रेम का यह ईनाम है, कान्हा से पहले लोग लेते राधा का नाम है, रंग बदलती दूनियाँ देखी देखा जग व्यवहार, दिल टूटा तब मन को भाया ठाकुर तेरा दरबार राधे राधे
प्रेम की भाषा बड़ी आसान होती हैं. राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी ये पैगाम देती हैं!
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी, जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।