बाबा तेरी रहमतों के सहारे मैं पलता हूँ, और तेरा ही नाम लेकर आगे बढ़ता हूँ, बाबा तू मुझसे नजर ना फेरना कभी, इक तू ही हैं जिसके सहारे मैं चलता हूँ !
हारे का ये साथी मेरा लखदातार है, तीन बाण धारी श्याम, विष्णु का अवतार है।।
बेससब चाहत रखते हैं श्याम, तेरे दीदार पाने की, पर श्याम कहते हैं, मैं तो तेरे दिल में बैठा हूँ, तुझे जरूरत नहीं, कहीं और जाने की,जय श्री श्याम.
थोड़ा सा गर विश्वास रखो तो तार देते हैं, मन में गर आस रखो तो संवार देते हैं, ऐसे दयालु हैं मेरे श्याम, दिल के पास रखो तो बेइन्तहा प्यार देते हैं !
जयकारा खाटू वाले का, क्या से क्या कर देता है, जो बोले उसके जीवन में, खुशीयाँ भर देता है।
खाटू जब भी जाओगे, मन की मुरादे पाओगे, सच्चा है दरबार श्याम का, भर के झोली लाओगे।।
मोर छड़ी और काली कमली, होंठो पे मुस्कान है, बिन मांगे जो भर देता झोली, ऐसा है हमारा श्याम।।
कठिन राह भी सरल हो जायेगी, मुश्किलें सारी हल हो जायेगी, एक बार आजा तू शरण श्याम के, जिन्दगी तेरी सफल हो जायेगी !
बाबा तुमने अपनी आँखों में नूर छुपा रखा है, होश वालो को दीवाना बना रखा है, नाज कैसे न करू तुम पर प्यारे, मुझ जैसे नाचीज़ को ख़ास बना रखा है!!
बड़े शौक से उतरे थे ऐ श्याम तेरे इश्क के समंदर में, पहली लहर ने ही ऐसा डुबाया की अब तक किनारा ना मिला !
हम भी तेरी मोहनी मूरत दिल में छिपाये बैठे है , तेरी सुन्दर सी छवि आँखों में बसाये बैठे है, इक बार बांसुरी की मधुर तान सुनादे मेरे श्याम. हम भी एक छोटी सी आस जगाये बैठे है।
मेरे श्याम- ये जिन्दगी का सफर, कटे तेरे सम्मान मे, चाहे आधी ही हो जिन्दगी, पर गुजरे तेरे गुणगान में।।
कोई नही है मेरी फिक्र करने वाला, फिर भी बेफिक्र रहता हूँ, बस एक है मेरे ऊपर जान छिडकने वाला, जिसे मैं बाबा श्याम कहता हूँ!
रटता जपता वंदन करता, श्याम आप का कीर्तन करता एक रोज़ वर्णन न काफी, इसलिए वंदन में रोज ही करता।।
साँवरे तेरी एक नजर ने दिल काबू में कर लिया तेरे दीदार का तेरे द्वार का मैं दीवाना हुआ मैं दीवाना हुआ,,।
तेरा शुक्र कैसे करूं मेरे बाबा, मैं तो रत्ती भर भी तेरे काबिल नहीं, तेरे प्रेम से जिन्दा हूँ मैं, तेरे सिवा इन लहरों का कोई साहिल नहीं !
लिखा तेरे मंदिर पे हारे का सहारा, इसी नाम से बजता है डंका तुम्हारा। जय श्री श्याम
शीश के दानी तेरे चरणों में हम अपना शीश झुकाते हैं, और कहीं झुकने ना देना ये अरदास लगाते हैं !