मत सहल हमें जानो फिरता है फ़लक बरसों, तब ख़ाक के पर्दे से इंसान निकलते हैं। - 2 LINES Shayari

मत सहल हमें जानो फिरता है फ़लक बरसों, तब ख़ाक के पर्दे से इंसान निकलते हैं।

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