अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई, और बिखर जाऊँ तो मुझको न समेटे कोई। - 2 LINES Shayari

अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई, और बिखर जाऊँ तो मुझको न समेटे कोई।

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