न रुकी वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला, पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला। - 2 LINES Shayari

न रुकी वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला, पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला।

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