क्या हसीन इत्तेफाक था तेरी गली में आने का, किसी काम से आये थे और किसी काम के ना रहे। - Ishq Shayari

क्या हसीन इत्तेफाक था तेरी गली में आने का, किसी काम से आये थे और किसी काम के ना रहे।

Ishq Shayari