इस क़दर आप के बदले हुए तेवर हैं कि, मैं अपनी ही चीज़ उठाते हुए डर जाता हूँ ! - Aukat Shayari

इस क़दर आप के बदले हुए तेवर हैं कि, मैं अपनी ही चीज़ उठाते हुए डर जाता हूँ !

Aukat Shayari