मालूम है “मुझे” मेरी औक़ात, हर बार क्यों “दिखाते” हो, छोड़ना है तो “छोड़” ही जाओ न, यूँ हर बार “क्यों” सताते हो!

मालूम है “मुझे” मेरी औक़ात, हर बार क्यों “दिखाते” हो, छोड़ना है तो “छोड़” ही जाओ न, यूँ हर बार “क्यों” सताते हो!

Aukat Shayari

मेरे सारे कसूरों पर भारी मेरे एक कसूर है मैं उसे पसंद करता हूँ बस इसी बात का उसे गुरूर है !

मेरे सारे कसूरों पर भारी मेरे एक कसूर है मैं उसे पसंद करता हूँ बस इसी बात का उसे गुरूर है !

जिसने कद्र-ऐ-बलिदान को जाना है घमंडी उसे ही जगत ने माना है !

जिसने कद्र-ऐ-बलिदान को जाना है घमंडी उसे ही जगत ने माना है !

किस बात का इतना घमंड किस बात का इतना गुरूर वक़्त के हाथों बने सब शेर वक़्त ही करे सब चकनाचूर !

किस बात का इतना घमंड किस बात का इतना गुरूर वक़्त के हाथों बने सब शेर वक़्त ही करे सब चकनाचूर !

हम खुदा से उस शक्स को पाने की दुआ कर बैठे है जिसे खुद के होने पे ही इतना घमंड है !

हम खुदा से उस शक्स को पाने की दुआ कर बैठे है जिसे खुद के होने पे ही इतना घमंड है !

पैसा बहुत था पर वो अपनी औक़ात खो बैठा अमीरी के फेर में जब पिता का साथ खो बैठा !

पैसा बहुत था पर वो अपनी औक़ात खो बैठा अमीरी के फेर में जब पिता का साथ खो बैठा !

आज हमसे वो “पूछ” रहे है हमारी औकात, जो हमारी “रहमतों” के कर्जदार आज भी हैं!

आज हमसे वो “पूछ” रहे है हमारी औकात, जो हमारी “रहमतों” के कर्जदार आज भी हैं!

वो मुझे ज़िन्दगी जीने का तरीका बता रहे है, जिनकी औकात मेरे Attitude के बराबर भी नहीं!

वो मुझे ज़िन्दगी जीने का तरीका बता रहे है, जिनकी औकात मेरे Attitude के बराबर भी नहीं!

इस क़दर आप के बदले हुए तेवर हैं कि, मैं अपनी ही चीज़ उठाते हुए डर जाता हूँ !

इस क़दर आप के बदले हुए तेवर हैं कि, मैं अपनी ही चीज़ उठाते हुए डर जाता हूँ !

हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन उनके बदले हुए तेवर देखे नहीं जाते!

हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन उनके बदले हुए तेवर देखे नहीं जाते!

तुझे एक नज़र देखना चाहते हैं, देखकर नज़रों में बसाना चाहते हैं!

तुझे एक नज़र देखना चाहते हैं, देखकर नज़रों में बसाना चाहते हैं!

बादशाह नहीं बाजीगर कहते है लोग हमें, क्युकी झुकना हमारे खून में नहीं !

बादशाह नहीं बाजीगर कहते है लोग हमें, क्युकी झुकना हमारे खून में नहीं !

वो मेरी न हुई तो इसमें “हैरत” की कोई बात नहीँ, क्योँकि “शेर” से दिल लगाये “बकरी” की ईतनी औकात नही!

वो मेरी न हुई तो इसमें “हैरत” की कोई बात नहीँ, क्योँकि “शेर” से दिल लगाये “बकरी” की ईतनी औकात नही!

कुछ लोग अपनी औक़ात दिखा देते हैं, गिराने की फ़िराक़ में बस इल्जाम लगा देते हैं!

कुछ लोग अपनी औक़ात दिखा देते हैं, गिराने की फ़िराक़ में बस इल्जाम लगा देते हैं!

एक अलग सी पहचान बनाने  की आदत है हमें, जख्म  हो जितना गहरा उतना मुस्कुराने की आदत है हमें!

एक अलग सी पहचान बनाने की आदत है हमें, जख्म हो जितना गहरा उतना मुस्कुराने की आदत है हमें!

भाव हम देते नहीं और, अकड़ हम सहते नहीं !

भाव हम देते नहीं और, अकड़ हम सहते नहीं !

रात को  गिदड़ कितना भी चिल्ला ले, सुबह तो शेर का ही दबदबा होता है!

रात को गिदड़ कितना भी चिल्ला ले, सुबह तो शेर का ही दबदबा होता है!

औकात की क्या बात करती है पगली हम तो उनमे से है, जो शराफत भी बड़ी बदमाशी से करते हैं!

औकात की क्या बात करती है पगली हम तो उनमे से है, जो शराफत भी बड़ी बदमाशी से करते हैं!

नाम और पहचान चाहे छोटी हो पर अपने दम पर होनी चाहिए।

नाम और पहचान चाहे छोटी हो पर अपने दम पर होनी चाहिए।