तमन्ना रखता हुँ आसमान छू लेने कि, लेकिन औरों को गिराने का इरादा नहीं करता!  - Aukat Shayari

तमन्ना रखता हुँ आसमान छू लेने कि, लेकिन औरों को गिराने का इरादा नहीं करता!

Aukat Shayari