इतनी अकेली क्यों है ये ज़िंदगी कोई हमसफ़र क्यों नहीं साथ मेरे तुम भी दो क़दम साथ चल छोड़ गए बीच मँझ धार
अब कटेगी ये ज़िंदगी किस के सहारे! - Humsafar Shayari

इतनी अकेली क्यों है ये ज़िंदगी कोई हमसफ़र क्यों नहीं साथ मेरे तुम भी दो क़दम साथ चल छोड़ गए बीच मँझ धार अब कटेगी ये ज़िंदगी किस के सहारे!

Humsafar Shayari