निकाल दिए गए कुछ दिलों से, उन्हें हमसे गीला भी नहीं, और एक हम हैं के कब से
ज़हेन में नाराजगी लिए बैठे हैं। - Narazgi Shayari

निकाल दिए गए कुछ दिलों से, उन्हें हमसे गीला भी नहीं, और एक हम हैं के कब से ज़हेन में नाराजगी लिए बैठे हैं।

Narazgi Shayari