कुछ इस तरह वो रिश्तों की नुमाइश करती है खुदको अच्छी दिखाने के लिए वो अक्सर मेरी बुराई करती है ! - Narazgi Shayari

कुछ इस तरह वो रिश्तों की नुमाइश करती है खुदको अच्छी दिखाने के लिए वो अक्सर मेरी बुराई करती है !

Narazgi Shayari