लाख पता बदला, मगर पहुँच ही गया, ये गम भी था कोई डाकिया जिद्दी सा! - Alfaaz Shayari

लाख पता बदला, मगर पहुँच ही गया, ये गम भी था कोई डाकिया जिद्दी सा!

Alfaaz Shayari