अजनबी शहर में एक दोस्त मिला, वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला!

अजनबी शहर में एक दोस्त मिला, वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला!

Ajnabi Shayari

मत लगाओ बोली अपने अल्फ़ाज़ों की हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे!

मत लगाओ बोली अपने अल्फ़ाज़ों की हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे!

शायर है हम शराबी नहीं, जब तक चाय नहीं पीते, अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते।

शायर है हम शराबी नहीं, जब तक चाय नहीं पीते, अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते।

दिल के जज्बातों को अल्फाजों में बयाँ करना पड़ता है, अब वो मोहब्बत नहीं जो जज्बातों को समझ सके।

दिल के जज्बातों को अल्फाजों में बयाँ करना पड़ता है, अब वो मोहब्बत नहीं जो जज्बातों को समझ सके।

मुझे छूकर एक फकीर ने कहा… अजीब “लाश” है, “सांस” भी लेती है…

मुझे छूकर एक फकीर ने कहा… अजीब “लाश” है, “सांस” भी लेती है…

डालकर आदत बेपनाह मोहब्बत की, अब वो कहते हैं कि समझा करो वक़्त नही है।

डालकर आदत बेपनाह मोहब्बत की, अब वो कहते हैं कि समझा करो वक़्त नही है।

बहुत भीड़ है मोहब्बत के इस शहर में, एक बार जो बिछड़ा, वापस नही मिलता।

बहुत भीड़ है मोहब्बत के इस शहर में, एक बार जो बिछड़ा, वापस नही मिलता।

सांस के साथ अकेला चल रहा था, जब सांस गई तो सब साथ चल रहे थे।

सांस के साथ अकेला चल रहा था, जब सांस गई तो सब साथ चल रहे थे।

हमसे मत पूछो यारो उनके बारे मे, अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे मे.

हमसे मत पूछो यारो उनके बारे मे, अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे मे.

 मैं तो खुद अपने लिए अजनबी हूँ तू बता  मुझ से जुदा हो कर तुझे कैसा लगा!

मैं तो खुद अपने लिए अजनबी हूँ तू बता मुझ से जुदा हो कर तुझे कैसा लगा!

इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है, लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर!

इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है, लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर!

अजनबी कोई समझ लेता है, कोई अन्जान समझ लेता है,  दिल है दीवाना, हर तबस्सुम को जान पहचान समझ लेता है.

अजनबी कोई समझ लेता है, कोई अन्जान समझ लेता है, दिल है दीवाना, हर तबस्सुम को जान पहचान समझ लेता है.

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!

मंजिल का नाराज होना भी जायज था, हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे!

मंजिल का नाराज होना भी जायज था, हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे!

अगर तुम ✒ अजनबी हो तो लगते क्यों नहीं और अगर मेरे हो तो मिलते क्यों नहीं!

अगर तुम ✒ अजनबी हो तो लगते क्यों नहीं और अगर मेरे हो तो मिलते क्यों नहीं!

इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है, लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है!

इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है, लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है!

हमसफ़र की तरह वो चला था मगर, रास्ते भर रहा अजनबी अजनबी.

हमसफ़र की तरह वो चला था मगर, रास्ते भर रहा अजनबी अजनबी.

 वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला, बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए!

वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला, बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए!

हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद,  हम अजनबी के अजनबी ही रहे, इतनी मुलाकातो के बाद!

हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद, हम अजनबी के अजनबी ही रहे, इतनी मुलाकातो के बाद!