Ajnabi Shayari, Status, and Images in Hindi

Best Ajnabi Shayari, Status, Messages, and Quotes With Images in Hindi.

Heart Touching Ajnabi Shayari

अजनबी शहर में एक दोस्त मिला, वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला!

कल तक सिर्फ़ एक अजनबी थे तुम आज दिल की एक एक धड़कन की बंदगी हो तुम!

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!

हमसफ़र की तरह वो चला था मगर, रास्ते भर रहा अजनबी अजनबी.

इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है, लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर!

हमसे मत पूछो यारो उनके बारे मे, अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे मे.

मैं तो खुद अपने लिए अजनबी हूँ तू बता मुझ से जुदा हो कर तुझे कैसा लगा!

अजनबी कोई समझ लेता है, कोई अन्जान समझ लेता है, दिल है दीवाना, हर तबस्सुम को जान पहचान समझ लेता है.

मंजिल का नाराज होना भी जायज था, हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे!

अगर तुम ✒ अजनबी हो तो लगते क्यों नहीं और अगर मेरे हो तो मिलते क्यों नहीं!

इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है, लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है!

वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला, बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए!

हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद, हम अजनबी के अजनबी ही रहे, इतनी मुलाकातो के बाद!

चले आओ ‘अजनबी’ बनकर फिर से मिले तुम मेरा नाम पूछो मैं तुम्हारा हाल पूछूं!

उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते महफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे!

दिल चाहता है कि फ़िर, अजनबी बन कर देखें, तुम तमन्ना बन जाओ, हम उम्मीद बन कर देखें।

मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूं, मुझे गैर कहने वाले तेरी बात मे दम है

तेरा नाम था आज किसी अजनबी की ज़ुबान पे, बात तो ज़रा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया!

अजनबी बन के हँसा करती है, ज़िंदगी किस से वफ़ा करती है, क्या जलाऊँ मैं मोहब्बत के चराग़, एक आँधी सी चला करती है।

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है, इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है; उससे मिलना तो तकदीर मे लिखा भी नही, फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!

सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई, आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई!

साथ बिताए वो पल फिर से भूल जाते है चल फिर से अजनबी होने का खेल दिखाते है!

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अजनबी शहर में एक दोस्त मिला, वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला!
 कल तक सिर्फ़ एक अजनबी थे तुम आज दिल की एक एक धड़कन की बंदगी हो तुम!
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!
हमसफ़र की तरह वो चला था मगर, रास्ते भर रहा अजनबी अजनबी.
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है, लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर!
हमसे मत पूछो यारो उनके बारे मे, अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे मे.
 मैं तो खुद अपने लिए अजनबी हूँ तू बता  मुझ से जुदा हो कर तुझे कैसा लगा!
अजनबी कोई समझ लेता है, कोई अन्जान समझ लेता है,  दिल है दीवाना, हर तबस्सुम को जान पहचान समझ लेता है.
मंजिल का नाराज होना भी जायज था, हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे!
अगर तुम ✒ अजनबी हो तो लगते क्यों नहीं और अगर मेरे हो तो मिलते क्यों नहीं!
इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है, लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है!
 वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला, बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए!
हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद,  हम अजनबी के अजनबी ही रहे, इतनी मुलाकातो के बाद!
चले आओ ‘अजनबी’ बनकर फिर से मिले तुम मेरा नाम पूछो मैं तुम्हारा हाल पूछूं!
 उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते महफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे!
दिल चाहता है कि फ़िर, अजनबी बन कर देखें, तुम तमन्ना बन जाओ, हम उम्मीद बन कर देखें।
 मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूं, मुझे गैर कहने वाले तेरी बात मे दम है
 तेरा नाम था आज किसी अजनबी की ज़ुबान पे, बात तो ज़रा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया!
अजनबी बन के हँसा करती है, ज़िंदगी किस से वफ़ा करती है, क्या जलाऊँ मैं मोहब्बत के चराग़, एक आँधी सी चला करती है।
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है, इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है; उससे मिलना तो तकदीर मे लिखा भी नही, फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई, आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई!
साथ बिताए वो पल फिर से भूल जाते है चल फिर से अजनबी होने का खेल दिखाते है!