अधूरी हसरतो का आज भी इल्जाम हैँ तुम पर, अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत खत्म नहीँ होती ! - Aansu Shayari

अधूरी हसरतो का आज भी इल्जाम हैँ तुम पर, अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत खत्म नहीँ होती !

Aansu Shayari