सुबह हुई कि छेड़ने लगता है सूरज मुझको कहता है बड़ा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो ! - Chand Shayari

सुबह हुई कि छेड़ने लगता है सूरज मुझको कहता है बड़ा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो !

Chand Shayari