मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा हैं, वो तारों में तन्हा हैं और मैं हजारों में तन्हा। - Chand Shayari

मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा हैं, वो तारों में तन्हा हैं और मैं हजारों में तन्हा।

Chand Shayari